अपनी सम्पूर्ण दुर्बलताओं के बाद भी पाठकों की सहानुभूति प्राप्त कर लेती है | इसलिए अंत में यह कहाँ उचित होगा कि चित्रलेखा स्थिर चित्त नहीं है | उसने अपने वैधव्य में वैराग्य साधने की बात सोची लेकिन कृष्णादित्य के आते ही उसका विचार बदल गया और उसे अपने जीवन में स्वीकार कर लिया | एक नर्तकी के रूप में बीजगुप्त को उसने पहले तो ‘समुदाय के सामने ही मैं आती हूँ’ कह कर अस्वीकार किया लेकिन बाद में उसी से प्रेम करने लगी | यहाँ तक कि अपने मनोरंजन के लिए वह श्वेतांक को भी आकर्षित करती है | बाद में उसी से कहती है कि ‘ मैं संसार में एक मनुष्य से प्रेम करती हूँ और बीजगुप्त है |’ लेकिन, कुछ समय बाद ही वह कुमारगिरि से प्रेम करने लगती है | विचारों की इसी अस्थिरता उसके जीवन को और साथ ही बीजगुप्त के जीवन को अंत में भिखारी की स्थिति में पहुँचा देती है |
महाप्रभु रत्नाम्बर:-
महाप्रभु रत्नाम्बर योगी हैं। उनके दो शिष्य हैं- श्वेतांक और विशालदेव। श्वेतांक तथा विशालदेव के मन में एक प्रश्न उत्पन्न होता है- पाप क्या है? इस प्रश्न के उत्तर के लिए रत्नाम्बर ने श्वेतांक को समाज के विषय में ज्ञात करने के लिए बीजगुप्त के पास तथा विशालदेव को योगी कुमारगिरि के पास भेजा। उन्हें अपने शिष्यों के मन में उठे प्रश्नों का समाधान करना था। इसलिए उन्होंने अपने शिष्यों को एक वर्ष का समय देकर समाज में भेजा।
श्वेतांक:-
श्वेतांक रत्नाम्बर का शिष्य है। ‘पाप क्या है?’ यह जानने के लिए वह बीजगुप्त के पास आया था। वह मदिरापान नहीं करता था, परंतु चित्रलेखा के प्रति आकर्षित होकर चित्रलेखा के बोलने पर वह मदिरापान कर लेता है तथा वह चित्रलेखा के प्रति आकर्षित भी होता है परंतु चित्रलेखा के इन्कार के बाद वह यशोधरा पर मोहित हुआ। अंत में बीजगुप्त अपनी सारी धन-संपत्ति श्वेतांक को सौंप कर यशोधरा से उसका विवाह करा देता है। श्वेतांक के रूप में लेखक ने ऐसे पात्र की सर्जना की है जो सांसारिक मोहमाया के जाल में बड़ी सरलता पूर्वक फँस जाता है | जिसका अंतकरण राग – द्वेष आदि सभी सांसारिक आकर्षणों के वशीभूत है | यही कारण है कि जो बीजगुप्त उसके गुरु की भूमिका में है उसी की होने वाली पत्नी यशोधरा से विवाह करने के लिए आतुर ही जाता है और बीजगुप्त की इच्छा के विरुद्ध अपने उद्देश्य की पूर्ति करने की योजना में लगा दिखाई देता है |चित्रलेखा के प्रति उसका आकर्षण भी उसके चरित्र की ही कमजोरी है | जो व्यक्ति उसका आश्रयदाता है उसकी अनुपस्थिति में उसी की प्रेमिका के प्रति आसक्ति एक लम्पट पुरुष की ही पहचान है |