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RBI का बंपर रेट कट, Repo Rate 50 बेसिस पॉइंट घटाया,

 

Repo Rate Cut: 4 जून को शुरू हुई आरबीआई की MPC Meeting के रिजल्ट आ चुके हैं और एक बार फिर केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट में 50 बेसिस पॉइंट की कटौती का तोहफा दिया है. इसके बाद आपके Home Loan से लेकर Car Loan तक की EMI घटने वाली है.

रिजर्व बैंक ने फिर दिया रेपो रेट कट का तोहफा

Repo Rate Cut: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की एमपीसी की बैठक के नतीजे (MPC Results) आ गए हैं और केंद्रीय बैंक ने एक बार फिर बड़ी राहत दी है. दरअसल, RBI ने लगातार तीसरी बार रेपो रेट में कटौती (Repo Rate Cut) की है और इसे 50 बेसिस पॉइंट घटा दिया है. इस ताजा कटौती के बाद अब रेपो रेट 6 फीसदी से नीचे 5.50% पर आ गया है. बता दें कि इससे पिछली दो एमपीसी बैठकों में भी ब्याज दरें 25-25 बेसिस पॉइंट घटाई गई थीं. बैंक लोन (Loan) लेने वाले ग्राहकों के लिए गुड न्यूज है, क्योंकि उनकी ईएमआई (EMI) अब और भी कम हो जाएगी.

मंहगाई में भी मिलेगी राहत 

Repo Rate में बंपर कटौती 0.50% की कटौती के बारे में जानकारी शेयर करते हुए आरबीआई गनर्वर संजय मल्होत्रा ने बताया कि बैठक में SDF रेट 5.75% से घटाकर 5.25% किया गया है, जबकि MSF रेट को भी 6.25% से घटाकर 5.75% कर दिया गया है. उन्होंने ग्लोबल मार्केट में अनिश्चितता बरकरार रहने की बात कहते हुए FY26 महंगाई अनुमान भी जाहिर किया और ये 3.7% रखा गया है. इससे पहले ये 4 फीसदी जताया गया था. इसके साथ ही RBI Governor ने बताया कि बैठक में कैश रिजर्व रेशियो (CRR) को भी 4 फीसदी से 100 बेसिस पॉइंट घटाकर 3 फीसदी करने का फैसला किया गया है.

जीडीपी अनुमान में कोई बदलाव नहीं
RBI ने FY26 के GDP ग्रोथ अनुमान में कोई बदलाव नहीं किया, जिससे यह संकेत मिलता है कि केंद्रीय बैंक को आर्थिक सुधार की दिशा पर भरोसा है. FY26 की पहली तिमाही में जीडीपी का अनुमान 6.5% है. दूसरी तिमाही में 6.7%, तीसरी तिमाही में जीडीपी का अनुमान 6.6% और चौथी तिमही में यह अनुमान 6.3% है.

रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने रेपो रेट कट का ऐलान करते हुए इस कदम को इकोनॉमिक ग्रोथ को सपोर्ट करने वाला बताया. उन्होंने आगे कहा कि भारत लगातार निवेश के लिए फेवरेट डेस्टिनेशन बन रहा है. भारत का विदेशी मुद्रा भंडार भी लगातार बढ़ रहा है और ये फिलहाल 691.5 अरब डॉलर पर पहुंच चुका है. इसके अलावा उन्होंने एक और अहम जानकारी शेयर करते हुए बताया कि आर्थिक हालात को देखते हुए आरबीआई ने अपनी मॉनिटरी पॉलिसी स्ट्रेटजी का रुख Accommodative से बदलकर अब Neutral कर दिया है. यानी अब रिजर्व बैंक रेपो रेट घटाने या बढ़ाने को लेकर कोई अक्रामक फैसला नहीं लेगा.

रेपो रेट कम होने पर घटती है Loan EMI
Repo Rate का सीधा कनेक्शन बैंक लोन लेने वाले ग्राहकों से होता है. इसके कम होने से लोन की ईएमआई घट जाती है और इसमें इजाफा होने से ये बढ़ जाती है. दरअसल, रेपो रेट वह दर है जिस पर किसी देश का केंद्रीय बैंक धन की किसी भी कमी की स्थिति में वाणिज्यिक बैंकों को पैसा उधार देता है. रेपो रेट का उपयोग मौद्रिक अधिकारियों द्वारा इंफ्लेशन को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है.

Repo Rate कट की लगाई हैट्रिक
आरबीआई एमपीसी की बैठक बीते 4 जून को शुरू हुई थी और आज 6 जून को इसके नतीजों का ऐलान किया गया. ताजा रेपो रेट कट से पहले भी इसमें इस साल की बीती दो बैठकों में राहत दी गई थी. इससे पहले फरवरी में हुई बैठक में रेपो रेट 0.25 फीसदी घटाया गया था, जिसके बाद ये कम होकर 6.50% से कम होकर 6.25% फीसदी पर आ गया था. तो इसके बाद अप्रैल में हुई FY26 की पहली MPC बैठक में एक बार फिर 25 बेसिस पॉइंट की कटौती कर इसे 6% कर दिया गया था औऱ अब रिजर्व बैंक ने Repo Rate Cut की हैट्रिक लगाकर लोन लेने वाले ग्राहकों को बड़ा तोहफा दिया है.

50 लाख के लोन पर कितनी घटेगी EMI

मान लीजिए आपने किसी बैंक से 50 लाख का होम लोन 30 सालों के लिए लिया है और इसके बदले आप 9% का ब्‍याज दे रहे हैं तो आपकी मंथली EMI 40,231 रुपये होगी. वहीं RBI के रेपो रेट में 50 बेसिस पॉइंट की कटौती के बाद यह ईएमआई घटकर 38,446 रुपये हो जाएगी. यानी मंथली ईएमआई में 2000 रुपये की कटौती होगी.

 

RBI ने क्यों लिया यह फैसला?

RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया कि महंगाई लगातार RBI के 4% के टारगेट से नीचे बनी हुई है. अप्रैल में खुदरा महंगाई गिरकर 3.16% पर आ गई, जो कि 6 साल का निचला स्तर है. साथ ही, मॉनसून की अच्छी शुरुआत और ग्लोबल अनिश्चितताओं के बीच घरेलू अर्थव्यवस्था को सपोर्ट देना जरूरी था. इसी को देखते हुए रेपो रेट में बड़ी कटौती की गई है.

रेपो रेट और CRR दोनों में कटौती से बैंकों पर लिक्विडिटी का दबाव कम होगा और वे लोन सस्ते कर पाएंगे. इसका फायदा हाउसिंग, ऑटोमोबाइल, बैंकिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर को मिलेगा.इसके साथ ही, ग्रामीण और छोटे कारोबारों के लिए लोन लेना आसान होगा, जिससे आर्थिक गतिविधियों को बूस्ट मिलेगा.

 

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