मल्लिका का चरित्र चित्रण
आषाढ़ का एक दिन की नायिका के रूप में मल्लिका निश्चल ,निस्वार्थ और सच्ची प्रेमिका है. वह कालिदास से बहुत प्रेम करती है और अपने इस प्रेम में वह अपनी माँ ,समाज आदि किसी की परवाह नहीं करती है। उसका प्रेम निस्वार्थ है तभी तो वह अपनी चिंता न करके कालिदास के अच्छे भविष्य के उसे उज्जयिनी जाने के विवश करती है। उसका कालिदास के प्रति प्रेम अमर है।
इस प्रकार हम देखते हैं कि मल्लिका उदार हृदया,अहिंसा और करुणा की मूर्ति ,निस्वार्थ भाव से प्रेम करने वाली ,स्वाभिमानिनी युवती है।वह कालिदास को प्रेरणा देती है ,उसकी ही प्रेरणा से कालिदास जीवन में आगे बढ़ते हैं।जीवन की वास्तविक आवश्यकताओं से विवश होकर वह आत्म – समर्पण करने को विवश होती है। मल्लिका अंतिम दृश्य में करुणा की मूर्ति बनी हुई सामने आती है।