चाहे मेडिकल या इंजीनियरिंग की पढ़ाई हो, विदेश में शिक्षा हो या किसी कौशल में सुधार, उच्च शिक्षा के खर्च बहुत होते हैं। एजुकेशनल लोन यहां मदद कर सकता है। प्रवेश परीक्षा के बाद, जब छात्रों को संस्थान में दाखिला लेना होता है, तब शिक्षा के शुल्क और खर्चे एक बड़ी चुनौती बन जाते हैं। एजुकेशनल लोन, सही जानकारी और सावधानी से लिया गया, इसमें काफी सहायता कर सकता है।
महामारी के बाद, भारत में शिक्षा कर्ज की मांग में तेजी आई है। आरबीआई के आंकड़े बताते हैं कि वित्त वर्ष 2022-23 की अप्रैल-अक्तूबर अवधि में, शिक्षा कर्ज 20.6% बढ़कर 1,10,715 करोड़ रुपये हो गया, जो पांच साल का उच्च स्तर है। इसके पहले के साल में इसी अवधि में 96,853 करोड़ रुपये का शिक्षा कर्ज लिया गया था। 2022-23 में शिक्षा कर्ज की वृद्धि दर 12.3% रही, जबकि 2021-22 में इसमें 3.1% की गिरावट देखी गई थी।
मांग बढ़ने की प्रमुख वजहें:
1. भारतीय और विदेशी कैंपस में कोर्स की मांग: शिक्षा कर्ज की मांग में वृद्धि, भारत और विदेशों में ऑफलाइन कैंपस कोर्सों की बढ़ती मांग के कारण हुई है।
2. सुगम कर्ज प्रक्रिया : परेशानी मुक्त आवेदन और कर्ज वितरण प्रक्रिया ने शिक्षा कर्ज लेने को आसान बना दिया है।
3. एनबीएफसी की सक्रिय भूमिका : गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) शिक्षा कर्ज क्षेत्र में सक्रियता से कार्य कर रही हैं, जिससे इस क्षेत्र में गति आई है।
पात्रता
1.शिक्षा का स्तर : बैंक देखते हैं कि आप किस स्तर की पढ़ाई कर रहे हैं, जैसे स्नातक, परास्नातक या अन्य।
2. कोर्स और कॉलेज : कौन सा कोर्स और किस कॉलेज या यूनिवर्सिटी में, इस पर भी निर्णय होता है।
3. देश: लोन भारत में पढ़ाई के लिए है या विदेश के लिए, इस पर भी फैसला होता है।
4. क्रेडिट हिस्ट्री : आपकी पिछली वित्तीय स्थिति और क्रेडिट रेकॉर्ड भी जांचा जाता है।
5. पिछली पढ़ाई के प्रमाणपत्र : पहले की पढ़ाई के प्रमाणपत्र भी मांगे जा सकते हैं।
हर बैंक और संस्थान के नियम अलग होते हैं।
शिक्षा ऋण के लिए योग्य पाठ्यक्रम
यह आम धारणा है कि शिक्षा ऋण केवल इंजीनियरिंग, मेडिकल, या एमबीए जैसे पाठ्यक्रमों के लिए ही मिलते हैं, परंतु वास्तविकता में, शिक्षा ऋण लगभग सभी प्रकार के पाठ्यक्रमों के लिए उपलब्ध होते हैं, जैसे:
– इंजीनियरिंग और मेडिकल कोर्स
– एमबीए और अन्य प्रबंधन कोर्स
– कला, विज्ञान, और वाणिज्य संबंधित उच्च शिक्षा
– विदेश में पढ़ाई के लिए विशेष कोर्स
– व्यावसायिक प्रशिक्षण और तकनीकी कोर्स
– ऑनलाइन और दूरस्थ शिक्षा कोर्स
यह महत्वपूर्ण है कि आप प्रत्येक बैंक या वित्तीय संस्था की नियम और शर्तों को समझें, क्योंकि ऋण की पात्रता उनकी नीतियों पर निर्भर करती है।
भारत में उच्च शिक्षा के लिए उपलब्ध इंटरेस्ट सब्सिडीज और गवर्नमेंट गारंटी स्कीम्स
भारत सरकार द्वारा उच्च शिक्षा के प्रसार के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनमें इंटरेस्ट सब्सिडीज और गारंटी स्कीम्स शामिल हैं। इनमें से कुछ प्रमुख योजनाएं हैं:
1. सेंट्रल सेक्टर इंटरेस्ट सब्सिडी स्कीम: यह स्कीम विशेष रूप से उन छात्रों के लिए है, जो कम आय वर्ग से आते हैं।
2. पढ़ाओ परदेश स्कीम: यह योजना विदेश में अध्ययन करने वाले छात्रों के लिए है।
3. क्रेडिट गारंटी फंड स्कीम फॉर एजुकेशनल लोन (सीजीएफएसईएल): यह शिक्षा ऋण पर एक निश्चित सीमा तक की गारंटी प्रदान करती है।
4. क्रेडिट गारंटी फंड स्कीम फॉर स्किल डेवलपमेंट (सीजीएफएसएसडी): यह व्यावसायिक और कौशल विकास संबंधी पाठ्यक्रमों के लिए है।
इन योजनाओं की पात्रता और शर्तें अलग-अलग होती हैं। छात्रों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे इन स्कीम्स के बारे में अच्छे से जानकारी प्राप्त करें और शिक्षा ऋण लेने से पहले इनका लाभ उठाने की संभावना का पता लगाएं, ताकि शिक्षा पर होने वाले खर्च को कम किया जा सके।
भारतीय राष्ट्रीयकृत बैंकों के माध्यम से एजुकेशनल लोन
की संरचना वास्तव में तीन विभिन्न श्रेणियों में विभाजित होती है। ये श्रेणियां ऋण की राशि के आधार पर निर्धारित की जाती हैं और प्रत्येक श्रेणी में विशेष शर्तें और आवश्यकताएं होती हैं:
1.रुपये 4 लाख तक का लोन : इस श्रेणी में, छात्रों को किसी गारंटर या कोलेटरल की आवश्यकता नहीं होती। यह विकल्प उन छात्रों के लिए उपयुक्त है जो छोटी राशि का लोन चाहते हैं और जिनका दाखिला मान्यता प्राप्त संस्थान में हुआ है।
2.रुपये 4 लाख से अधिक और 7.5 लाख से कम तक का लोन : इस श्रेणी में, बैंक एक आर्थिक रूप से संपन्न गारंटर की मांग करते हैं, लेकिन कोलेटरल की जरूरत नहीं होती। यह मध्यम आकार के शिक्षा ऋण के लिए उपयुक्त है।
3. रुपये 7.5 लाख से अधिक का लोन : इस श्रेणी में, ऋण लेने वाले को न केवल एक संपन्न गारंटर की आवश्यकता होती है, बल्कि कोलेटरल की भी जरूरत होती है। यह विकल्प उन छात्रों के लिए उपयुक्त है जो बड़ी राशि का ऋण चाहते हैं, चाहे वह भारत में हो या विदेश में।
इन लोन श्रेणियों के अंतर्गत, छात्र अपनी आवश्यकता और पात्रता के अनुसार सर्वोत्तम विकल्प चुन सकते हैं। यह महत्वपूर्ण है कि लोन लेने से पहले सभी शर्तों और नियमों को समझ लिया जाए।
भारतीय निजी बैंक शिक्षा
ऋण विभिन्न कैटेगरीजों में प्रदान करते हैं, जिसमें शर्तें और ऋण की राशि कॉलेज की रैंकिंग और छात्र के शैक्षणिक पाठ्यक्रम के आधार पर होती हैं। ये ऋण सामान्यत: सरकारी बैंकों से महंगे होते हैं, और इनके लिए एक मजबूत गारंटर या को-एप्लिकेंट, और कई मामलों में कोलेटरल की आवश्यकता होती है। ये ऋण खासकर उन छात्रों के लिए हैं जो उच्च रैंकिंग वाले संस्थानों में प्रवेश प्राप्त करते हैं या विदेश में पढ़ाई करने के इच्छुक होते हैं। इन शर्तों के अनुसार, ऋण की राशि और इसके लिए आवश्यक सुरक्षा का निर्धारण होता है।
निजी बैंकों में मिलेंगी कुछ अलग शर्तें
देश के निजी बैंकों द्वारा प्रदान किए जाने वाले शिक्षा ऋण सरकारी बैंकों की तुलना में थोड़े महंगे और कठिन होते हैं। यहां किसी भी ऋण के लिए छात्र के साथ एक गारंटर की आवश्यकता होती है, जिसे को-ऐप्लिकेंट कहा जाता है। निजी बैंकों से आप छह विभिन्न कैटेगरीज में शिक्षा ऋण प्राप्त कर सकते हैं, जिन्हें कॉलेज की रैंकिंग के आधार पर तय किया गया है।
1.जनरल कैटेगरी (रुपये 1 लाख से 7.5 लाख तक का ऋण): इस कैटेगरी के लिए आपको एक मजबूत गारंटर या को-एप्लिकेंट की आवश्यकता है, हालांकि इस ब्रैकेट के लिए कोलेटरल की आवश्यकता नहीं होती है।
2. प्राइम सी कैटेगरी (रुपये 15 लाख तक का ऋण) : इसमें आप एजुकेशनल लोन प्राप्त कर सकते हैं, साथ ही एक को-एप्लिकेंट और गारंटर की भी आवश्यकता होती है।
3. प्राइम बी कैटेगरी (रुपये 15 लाख से अधिक और 40 लाख तक का ऋण) : इसमें वे छात्र शामिल हो सकते हैं जिनका दाखिला रैंकिंग वाले संस्थानों में हो रहा है।
4. प्राइम ए कैटेगरी (50 लाख तक का शिक्षा ऋण) : इसके तहत आपको देश के शीर्ष संस्थानों में दाखिला होने पर एजुकेशनल लोन मिल सकता है, लेकिन इसके लिए गारंटर और को-एप्लिकेंट की आवश्यक
Central Sector Scheme Of Scholarship For College :-
https://www.myscheme.gov.in/schemes/csss-cus